नई दिल्लीः दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी ने सोमवार को अपने पद का कार्यभार संभाला। इस मौके पर उन्होंने सीएम ऑफिस में अपनी कुर्सी के बगल में एक खाली कुर्सी रखकर कहा कि यह कुर्सी अरविंद केजरीवाल के लिए है, जो चार महीने बाद लौटेंगे। आतिशी ने इसे भगवान राम और उनके भाई भरत की कहानी से जोड़ा, बताते हुए कहा कि जैसे भरत ने राम के खड़ाऊं को रखकर अयोध्या का सिंहासन संभाला था, उसी तरह वह भी दिल्ली के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभाएंगी।

आतिशी ने कहा कि चार महीने बाद दिल्ली की जनता फिर से केजरीवाल को इस कुर्सी पर बैठाएगी। उन्होंने श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम बताते हुए केजरीवाल की तुलना की, कहकर कि उन्होंने राजनीति में नैतिकता की एक मिसाल पेश की है।

गौरतलब है कि 13 सितंबर को केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति मामले में जमानत मिली थी और उन्होंने 17 सितंबर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया। उसके बाद, विधायक दल की बैठक में आतिशी को नेता चुना गया और 21 सितंबर को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शपथ लेने के बाद, आतिशी ने केजरीवाल के पैर भी छुए।

शपथ ग्रहण के बाद, आतिशी ने दो मुख्य उद्देश्यों का जिक्र किया: पहला, भाजपा के षड्यंत्रों से दिल्ली की जनता की रक्षा करना, और दूसरा, केजरीवाल को फिर से मुख्यमंत्री बनाना।

आतिशी के इस बयान पर बीजेपी जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने प्रतिक्रिया दी, उनका कहना था कि आतिशी ने मुख्यमंत्री पद की गरिमा को ठेस पहुंचाई है और जनता की भावनाओं का ख्याल नहीं रखा। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या केजरीवाल अपनी सरकार को रिमोट कंट्रोल से चलाएंगे।

43 वर्ष की आतिशी अब दिल्ली की सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं, जबकि केजरीवाल 45 वर्ष की उम्र में मुख्यमंत्री बने थे। वह सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद दिल्ली की तीसरी महिला सीएम हैं।

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