नई दिल्ली: सागर विश्वविद्यालय और मुंबई स्थित भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर (BARC) ने एक क्रांतिकारी शोध किया है, जो कार्बन नैनोपार्टिकल्स का उपयोग करके हमारे शरीर की स्वस्थ और बीमार कोशिकाओं की पहचान में मदद करेगा। इस शोध से कैंसर जैसी बीमारियों का सस्ता इलाज संभव हो सकेगा। यह शोध लंदन के प्रतिष्ठित साइंस जर्नल “नैनोस्केल” में प्रकाशित हुआ है।

कैंसर और अन्य बीमारियों की पहचान आसान होगी

सागर यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. योगेश भार्गव के अनुसार, इस शोध में कार्बन नैनोपार्टिकल्स का उपयोग किया गया है, जो शरीर में स्वस्थ और बीमार कोशिकाओं की पहचान करने में सक्षम हैं। यह तकनीक टार्गेटेड ड्रग थेरेपी को प्रोत्साहित करेगी, जिससे महंगे इलाज और साइड इफेक्ट्स में कमी आएगी।

कार्बन नैनोपार्टिकल्स का महत्व

डॉ. योगेश भार्गव बताते हैं कि कार्बन के फंक्शनल ग्रुप्स हुक्स की तरह काम करते हैं, जो दवाओं को कोशिकाओं तक पहुंचाने में मदद करते हैं। इससे दवाओं का वितरण अधिक सटीक और प्रभावी होगा, और पूरी बॉडी में दवा के फैलाव से होने वाले साइड इफेक्ट्स से बचाव होगा। इस शोध का उद्देश्य कैंसर जैसी घातक बीमारियों की पहचान और इलाज को सस्ता और अधिक प्रभावी बनाना है।

शोध की सफलता और भविष्य की संभावनाएं

यह शोध कई वर्षों की मेहनत का परिणाम है, और इससे भविष्य में चिकित्सा क्षेत्र में कई क्रांतिकारी बदलाव हो सकते हैं। डॉ. योगेश भार्गव ने बताया कि इस शोध के माध्यम से कार्बन नैनोपार्टिकल्स का उपयोग कर बीमार कोशिकाओं की पहचान की जाएगी, जो पहले संभव नहीं था। इस तकनीक को और विकसित किया जा रहा है, जो चिकित्सा के क्षेत्र में बड़े बदलाव ला सकती है।

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