पटना: बिहार में विधानसभा की चार सीटों पर उपचुनाव चल रहा है। इनमें से दो सीटों पर बीजेपी ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं। भोजपुर जिले के तरारी विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी कैंडिडेट विशाल प्रशांत के लिए डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा की जनसभा में केवल 200 लोग जुटे। इसके बावजूद विजय सिन्हा जीत का दावा कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, तरारी क्षेत्र में बीजेपी ने पूर्व विधायक सुनील पांडेय के बेटे विशाल प्रशांत को उम्मीदवार बनाया है। यह सीट भाकपा माले के विधायक सुदामा प्रसाद के सांसद बनने के कारण खाली हुई है। माले ने इस बार राजू यादव को प्रत्याशी बनाया है। बीजेपी ने चुनाव से पहले सुनील पांडेय और उनके बेटे को पार्टी में शामिल कराया और विशाल को उम्मीदवार बनाया।
डिप्टी सीएम की फीकी सभा
बीजेपी के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा रविवार को तरारी में विशाल प्रशांत के लिए चुनाव प्रचार कर रहे थे। लेकिन उनकी सभाओं में उपस्थिति बेहद कम रही। उन्होंने तरारी के बैसाडीह गांव में एक जनचौपाल लगाई, जहां केवल 200 लोग मौजूद रहे। इसके बाद नोनार और बचरी गांव में भी ऐसी ही स्थिति रही।
शाम को उन्होंने सिकरौल गांव में जनसभा की, जिसमें भी 200 लोगों की उपस्थिति थी। विजय कुमार सिन्हा ने वहां विशाल प्रशांत की जीत का दावा करते हुए कहा कि उनकी जीत से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हाथ मजबूत होगा।
एनडीए की स्थिति क्यों खराब ?
स्थानीय लोग बताते हैं कि सवर्ण वोटरों का एक बड़ा हिस्सा बीजेपी से नाराज है। तरारी में भूमिहारों, राजपूतों और ब्राह्मणों की अच्छी संख्या है। प्रशांत किशोर ने इस उपचुनाव में रिटायर्ड लेफ्टीनेंट जनरल कृष्ण सिंह को उतारने का ऐलान किया था, लेकिन तकनीकी कारणों से वे नामांकन नहीं भर पाए। इसके बाद किरण सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है, जिन्होंने न केवल अपनी जाति के वोट बल्कि बीजेपी कैंडिडेट के वोट में भी सेंधमारी की है।
इस स्थिति के कारण विजय कुमार सिन्हा को अपनी जाति के वोटरों को मनाने के लिए सभा में जाना पड़ा। लेकिन रविवार को उनकी सभाओं में जो उपस्थिति रही, उसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर यही स्थिति रही, तो बीजेपी कैंडिडेट के लिए चुनावी लड़ाई कठिन हो सकती है।